Wednesday, June 09, 2010
खुशहाल पंजाब में बदहाल शिक्षा
पटियाला जिले का बहादुरपुर झुंगियाँ गांव तो सिर्फ एक उदाहरण है. हकीकत तो ये है कि समूचे पंजाब में शिक्षा की ऐसी ही बदहाली है. दर्जनों ऐसे गांव हैं जहां एक भी प्राइमरी स्कूल नहीं हैं. अशिक्षा इन गांव वालों की पुस्तैनी बीमारी बन कर रह गयी है. पंजाब की समृधि में भले ही तमाम कहानियां कही जाती हों, लेकिन ये भी एक सच्चाई है कि अशिक्षित लोगों के इन गांवों की ओर विकास का कोई रास्ता नहीं जाता. यहाँ की अनपढ़ बेटियों के लिए अनपढ़ लड़कों की तलाश की जाती है, जबकि इन गांवों में अंगूठा छाप लड़कों के लिए अनपढ़ बहुएं ही ढूंढी जाती है. इन अनपढ़ मां बाप की संतानें पैदा होती हैं तो वो भी अशिक्षा के माहौल में अंगूठा छाप ही बनती हैं. न चाहते हुए भी मजदूरी करने के सिवा इन लोगों के पास रोजगार का कोई और साधन नहीं है. इन गांवों का दंश ये है कि मजदूर बाप के बेटे यहाँ मजदूर ही बनते चले आ रहे हैं. अब यहाँ के लोग अपने बेटों को मजदूर बनते नहीं देखना चाहते, लेकिन करें तो क्या करें? शिक्षा इन गांवों से कोसों दूर है. ' पढो पंजाब, बढ़ो पंजाब ' का नारा देने वाली राज्य सरकार के पास इन गांवों को शिक्षित करने की कोई योजना नहीं है. राज्य सरकार की कोई भी विकास योजना इन गांवों से होकर नहीं गुजरती. सैकड़ों सालों से अपनी बदहाली के साथ जी रहे इन गांवों में जाकर देखने पर हैरत होती है कि क्या इसी पंजाब के गुणगान होते हैं? क्या यही खुशहाल पंजाब है? क्या इन्ही कारणों से यहाँ के लोग विदेशों में मजदूरी करने को तैयार हैं. बड़ा सवाल ये है कि क्या यहाँ कि घोटालेबाज़ सरकारें कभी इन गांवों कि सुध लेंगी?
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matlab poore patiyala ko pada ke hi maanoge...
ReplyDeletenice coverage.
impact bhi bahoot tagdaa hai aapkaa (bhaskar impact ki jagah pradeepAwasthi impact hona chahiye..) ..:-)..
dc ne fauran report talab ki