Thursday, April 18, 2013

सियासत- राजनीति का अखाड़ा बनेगा मुलायम का गृह क्षेत्र

इटावा। लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने वाली है। सियासी दलों ने इसके लिए कमर भी कस ली है। अब राजनीति के माहिरोंं का जोर इस बात पर है कि किस पार्टी को कहां से डैमेज करना है। किस क्षेत्र में, किस मुद्दे पर प्रमुख विपक्षी पार्टी अथवा सत्तारूढ़ दल को घेरना है। प्रदेश में फिलहाल सभी राजनीतिक दलों के निशाने पर सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी ही है। शायद इसीलिए सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का गढ़ कहा जाने वाला उनका गृह क्षेत्र ही आने वाले दिनों में राजनीति का अखाड़ा बनने जा रहा है। भाजपा, बसपा और मुसलमानों के एक धड़े ने यहीं से लोकसभा चुनाव की सियासत शुरू करने का ऐलान किया है। आने वाले दिनों में इसका असर भी देखने को मिलेगा।
 सबसे पहले बात मुसलमानों की। हर चुनाव में समाजवादी पार्टी के खेवनहार बने मुसलमानों का एक धड़ा सपा से बिदका है। दूरियां भी ऐसी बढ़ीं कि जामा मस्जिद के शाही इमाम बुखारी ने सपा के गढ़ में लोकसभा चुनाव की सियासत शुरू करने की ठानी। बुखारी यहां २१ अप्रैल को सपा के खिलाफ मुसलमानों को एकजुट करने के लिए विशाल रैली करने जा रहे हैं। इस रैली में निमेष आयोग और सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को लागू नहीं करने, विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में मुसलमानों के लिए की गई घोषणाओं को लागू नहीं करने का मुद्दा उठाया जाएगा। इस रैली को सफल बनाने के लिए जिले में कई टीमें काम कर रही हैं, जो न सिर्फ मुसलमानों बल्कि हर धर्म के लोगों को सपा सरकार में कानून व्यवस्था का हवाला देकर घर घर जनसंपर्क अभियान चला रही हैं। यहां कांग्रेस मुसलमानों का समर्थन कर रही है।
 अब बात भाजपा की। संतोषपुर इटगांव प्रकरण को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने मुलायम सिंह यादव के गृह जनपद से ही चुनावी शंखनाद की घोषणा की है। सपा मुखिया और मुख्यमंत्री के गृह जनपद में हुए इस कांड को भाजपा ने पूरे प्रदेश स्तर पर उठाने की योजना बनाई है। बीते कुछ दिनों में यहां भाजपा के प्रदेश स्तरीय नेताओं की धमाचौकड़ी इसी योजना का नतीजा है। आने वाले दिनों में भाजपा के वरिष्ठ नेता बालचंद्र मिश्रा के नेतृत्व में यहां सपा के खिलाफ बिगुल बजाएगा।
 अब चर्चा बसपा की राजनीति पर। मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र मैनपुरी से बसपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य मुलायम सिंह यादव के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में कुछ हिस्सा जसवंतनगर विधानसभा का भी शामिल है। स्वामी प्रसाद मौर्य बीते पांच दिनों में यहां दो बार बैठक कर चुके हैं। हालांकि यहां लड़ाई किसी भी लिहाज से बसपा के पक्ष में नहीं है, फिर भी बसपा ने ताल ठोंक रखी है। संघमित्रा इस बात से आश्वस्त हैं कि परिवर्तन सृष्टि का नियम है। मैनपुरी सीट भी परिवर्तन से अछूता नहीं है। मैनपुरी सीट के बहाने बसपा की नजर इटावा लोकसभा सीट पर भी है।
इन तीन चर्चाओं का निष्कर्ष ये है कि प्रमुख विपक्षी दलों के निशाने पर इस बार सपा का गृह क्षेत्र भी शामिल है। बीते कई दशकों में यह पहला मौका है जब विपक्षी दल सपा के गृह क्षेत्र में हावी होने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि सपाई इसे आई गई बात मानते हैं। उनका कहना है कि यहां बहुत धुरंधर आए और चले गए। ऐसा सच भी है। बीते कई दशकों से क्षेत्र में सपा का परचम फहरा रहा है। हालांकि इससे पूर्व के विधानसभा चुनाव में बसपा ने यहां सेंध जरूर लगा दी थी। इस बार देखना यह है कि कुश्ती के पहलवान मुलायम सिंह यादव सियासत में किस दांव से विरोधियों को चित्त करते हैं।



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